बौद्ध वास्तुकला भारतीय कला के एक अद्भुत बिरासत है जिसके अंतर्गत गुफा, चैत्य ,स्तूप,विहार वास्तुकला आते हैं जो पहले के प्रारम्भिक गुफा वास्तुकला का एक उदाहरन हैं
बिहार के लोमस ऋषि गुफा भी बस्तुकला अंतर्गत आते है जो काफी प्रसिद्ध हैं और बराबर पहाड़ी के अंदर आते हैं
सम्राट अशोक ने बिहार के बराबर पहाड़ी के अंदर चार गुफा बनायी जिसमे लोमस ऋषि गुफा,सुदामा ऋषि गुफा , करनचौपोर गुफा और विश्व गुफा भी है
चैत्य एक प्रार्थना हॉल या सभा सथल हैं और बोध धरम में स्तूप समाधी सथल होती है पबित्र लोगो की अस्थिया राखी जाती है
सम्राट अशोक ने बिहार के बराबर पहाड़ी के अंदर चार गुफा बनायी जिसमे लोमस ऋषि गुफा,सुदामा ऋषि गुफा , करनचौपोर गुफा और विश्व गुफा भी है
चैत्य एक प्रार्थना हॉल या सभा सथल हैं और बोध धरम में स्तूप समाधी सथल होती है पबित्र लोगो की अस्थिया राखी जाती है
भाज की गुफा में चैत्य का बिबरन है
हर्मिका , मेघी और वेदिका आदि स्तूप कला से हैं
अभी सारनाथ की एक्साम वैदिकम तक्षिला की वेदिका के साथ कोनकमण वेदिका स्तूपा और साँची स्तूप भी मह्त्वपूर्ण हैं
संगु शासक ने भरहुत ,साँची और बोध्य गया स्तूप भी बनाया जो ब्रह्मण के हितकारी था संगु शासक
हर्मिका , मेघी और वेदिका आदि स्तूप कला से हैं
अभी सारनाथ की एक्साम वैदिकम तक्षिला की वेदिका के साथ कोनकमण वेदिका स्तूपा और साँची स्तूप भी मह्त्वपूर्ण हैं
संगु शासक ने भरहुत ,साँची और बोध्य गया स्तूप भी बनाया जो ब्रह्मण के हितकारी था संगु शासक
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